नई दिल्ली.सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव की 550वीं जयंती पर 9 नवंबर को पाकिस्तान में करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन होगा।भारत सेपाकिस्तान जाने वाले उच्च स्तरीय जत्थे की सुरक्षा पर बुधवार काे सवाल खड़े हाे गए, क्योंकि भारत ने आतंकी खतरे के इनपुट भी पाकिस्तान से साझा किए और करतारपुर जाने वाले वीआईपी जत्थे को कड़ी सुरक्षा मुहैया कराने को कहा। 550 लाेगाें के जत्थे में पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी शामिल हैं। यह जत्था बाॅर्डर से आगे गुरुद्वारा दरबार साहिब तक पाकिस्तान की सीमा में चार किलाेमीटर अंदर जाएगा।
मनमोहन के लिए पाकिस्तान ने बैटरी से चलने वाली और चाराें ओर से खुली गाड़ी का इंतजाम किया है। यह उनकी जेड+ सुरक्षा के प्रोटोकॉल से मेल नहीं खाता। भारत ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री को जेड प्लस श्रेणी के बराबर सुरक्षा दी जानी चाहिए।इसके अलावा, पूरे जत्थे की सुरक्षा के विशेष इंतजाम करने काे कहा है। बंदाेबस्त देखने के लिए पहले एक टीम भी वहां भेजने की इजाजत मांगी है। अभी इस पर पाकिस्तान से काेई जवाब नहीं मिला है। पाकिस्तान ने कार्यक्रमाें का पूरा ब्याेरा भी नहीं दिया है।
पाकिस्तान तैयार नहीं हुआ तो जत्था अपने जोखिम पर जाएगा
सूत्राें के अनुसार, अगर पाकिस्तान इसके लिए राजी नहीं हुआताे मनमाेहन सिंह सहित पूरा जत्था अपने जाेखिम पर जाएगा। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, हरसिमरत काैर बादल, शिराेमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल और150 सांसद भी शामिल हैं। सूत्राें ने बताया कि पाकिस्तान में सिख्स फाॅर जस्टिस जैसे खालिस्तानी समूहाें औरलश्कर ए तैयबा जैसे आतंकीसंगठनाें की गतिविधियाें की वजह से सरकार पहले जत्थे की सुरक्षा काे लेकर ज्यादा चिंतित है। इसी बीच, पाकिस्तान को जवाब देने के लिए भारत के 100 दूतावासों ने गुरु नानक जयंती पर अनेक आयोजन कराए हैं। 90 देशों के प्रतिनिधियों को भारत भी बुलाया गया है।
सरकारी सूत्राें ने कहा- अलगाववाद बढ़ाने के लिए पाकिस्तानीसेना ने खुलवाया काॅरिडाेर
सरकारी सूत्राें ने कहा है कि करतारपुर काॅरिडाेर काे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के बजाय वहां की सेना ने खुलवाया है। इसके पीछे पाकिस्तानी सेना का मकसद भारत में अलगाववाद काे बढ़ावा देना है। प्राेजेक्ट लाेगाें की आस्थासे जुड़ा हाेने के कारण भारत सरकार ने विवेक से फैसला लिया। सूत्राें ने कहा कि प्राेजेक्ट 1999 में शुरू हुआ था,लेकिन पाकिस्तान इस पर सहमत नहीं हाे था। हालांकि, अगस्त 2018 में इमरान खान के सत्ता में आनेके बाद इसे मंजूरी दे दी गई। साफ है कि इसके पीछे असल में पाकिस्तानी सेना है।
बायोमेट्रिक पहचान के बाद ही भारत लौट सकेंगे श्रद्धालुओं
करतारपुर कॉरिडोर से पाकिस्तान जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने बायोमेट्रिक पहचान की व्यवस्था की है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जो यात्री करतारपुर जा रहे हैं, वही भारत लौटकर आएं। डॉ. मनमोहन सिंह भी इसी प्रक्रिया से गुजरेंगे। केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से स्पष्ट करने को कहा है कि करतारपुर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए पासपोर्ट जरूरी है या नहीं। इमरान खान ने हाल ही में ट्वीट कर कहा था कि पासपोर्ट की जरूरत नहीं होगी लेकिन समझौते के अनुसार यह जरूरी है। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों के अनुसार ऐन मौके पर पासपोर्ट से दी गई छूट का मकसद आतंकियों की घुसपैठ में मदद करवाना हो सकता है। अटारी सीमा से बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु करतारपुर के लिए रवाना हुए।
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from Dainik Bhaskar /national/news/manmohan-singh-will-take-pak-to-gurudwara-in-an-open-car-01680947.html
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