कोपेनहेगन. डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन को 2025 तक कार्बन उत्सर्जन मुक्त करने की तैयारी है। ऐसा करने की योजना 2009 में बनाई गई थी। सबकुछ योजना के मुताबिक ही हो, इसके लिए डेनमार्क की सरकार प्रतिबद्ध है। ब्रिटिश अखबार द ग्रार्जियन के मुताबिक, कचरे को ऊर्जा में बदलने के लिए 485 मिलियन पाउंड (4300 करोड़ रुपए) में बनाए गए पावर प्लांट (एमगर रिसोर्स सेंटर- आर्क) के ऊपर कृत्रिम स्कीइंग स्लोप बनाया जा रहा है।
आर्क के मुख्य कार्यकारी जैकब सिमंसन का कहना है कि हम सुख देने वाले विकास में यकीन रखते हैं। कार्बन उत्सर्जन न केवल पर्यावरण बल्कि जिंदगी के लिए भी खतरनाक है। स्कीइंग स्लोप बनने के बाद जिंदगी काफी बेहतर हो जाएगी। डेनमार्क आर्कटिक क्षेत्र में आता है। इस साल गर्मियों में आर्कटिक क्षेत्र के जंगलों में आग लग गई थी। ग्रीनलैंड में भी इस बार रिकॉर्ड बर्फ पिघली। आर्कटिक के बढ़ते तापमान के चलते कोपेनहेगन को कार्बन उत्सर्जन मुक्त शहर बनाने की योजना सराहनीय कही जा सकती है।
ऐसे कोपेनहेगन ग्रीन-स्मार्ट शहर बनेगा’
क्लाइमेट एक्शन प्लान के तहत कोपेनहेगन को हरा-भरा, स्मार्ट और कार्बन उत्सर्जन मुक्त शहर बनाया जाएगा। कोपेनहेगन में 100 नई पवनचक्की लगाई जाएंगी, इससे ऊष्मा और बिजली की खपत में 20% की कमी आएगी। 75% तकयात्राएं साइकिल, पैदल या फिर यातायात के सार्वजनिक साधनों से ही की जाएंगी।
इसके अलावा सभी ऑर्गनिक वेस्ट को बायोगैस में बदला जाएगा। 60 हजार वर्गमीटर क्षेत्र में नए सोलर पैनल लगाए जाएंगे। साथ ही कोपेनहेगन में चीजों को गर्म करने की 100% जरूरतें रिन्यूएबल सोर्सेस से पूरी की जाएंगी। 2005 से अब तक कोपेनहेगन से कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन में 42% की कमी आ चुकी है। शहर प्रशासन का टारगेट कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन को 100% तक कम करना है।
ग्रीन शहर बनाने के लिए पूर्व मेयर ने कंपनी बनाई
पावर प्लांट पर कृत्रिम स्कीइंग स्लोप बनाने का विचार कोपेनहेगन के पूर्व मेयर बो आस्मुस केजेलगार्ड ने रखा था। 1990 के दशक में केजेलगार्ड ने कोपेनहेगन को यूरोप की एन्वायरमेंटल कैपिटल बनाने का भी विचार रखा था। उनका कहना है कि गुणवत्ता के साथ निरंतर विकास (सस्टेनेबिलिटी) को आप लिवेबिलिटी कह सकते हैं। जलवायु परिवर्तन रोकने के प्रयासों के तहत केजेलगार्ड ने खुद की एक कंपनी ग्रीनोवेशन बनाई है।
‘हमें फायदे नहीं प्रकृति की परवाह’
स्कैंडेनेवियाई देशों की सबसे बड़ी निर्माण कंपनी एनसीसी में बिजनेस डेवलपमेंट और पब्लिक अफेयर्स के डायरेक्टर मार्टिन मैनथोर्प का कहना है कि दुनिया के कई देश कारोबारी फायदे के लिए प्रकृति और पर्यावरण की परवाह नहीं करते, लेकिन डेनमार्क में ऐसा नहीं है। डेनिश लोगों का एक ही माइंडसेट होता है कि हम आज क्या कर रहे हैं और आने वाली पीढ़ी को क्या देकर जाएंगे। डेनमार्क की बड़ी कंपनियां लंबे समय को ध्यान में रखकर काम करती हैं।
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